Vijay Shekhar: आज की दुनिया तेजी से डिजिटल हो रही है, और अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई इसका अहम हिस्सा बनता जा रहा है। इसी कड़ी में भारत की प्रमुख फिनटेक कंपनी पेटीएम ने एक बेहद दिलचस्प और बड़ा कदम उठाया है। कंपनी के संस्थापक Vijay Shekhar ने हाल ही में दिल्ली में आयोजित “शिपरॉकेट शिविर एआई कॉमर्स एडिशन” में एलान किया कि पेटीएम अब पूरी तरह से “AI-First” कंपनी बनने की दिशा में आगे बढ़ रही है।
Vijay Shekhar का कहना है, “जल्द या देर से हमें एआई को कर्मचारी की तरह इस्तेमाल करना होगा या शायद किसी CFO की तरह।” उनका यह बयान न केवल साहसिक था, बल्कि आने वाले भविष्य की स्पष्ट झलक भी देता है।
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एआई अब होगा पेटीएम का नया सहकर्मी

पेटीएम ने मार्च 2024 की तिमाही में अपने लगभग 3,500 कर्मचारियों को अलविदा कहा, खासकर सेल्स से जुड़े पदों से। यह कदम पेटीएम पेमेंट्स बैंक पर लगे प्रतिबंधों के बाद उठाया गया। लेकिन अब कंपनी एक नई दिशा में आगे बढ़ रही है, जहां एआई टीम का हिस्सा बनकर न केवल कर्मचारियों की जगह लेगा, बल्कि स्मार्ट और तेज निर्णयों के लिए भी मदद करेगा।
यह बदलाव पेटीएम के लिए केवल लागत बचत का रास्ता नहीं, बल्कि एक नया युग शुरू करने का इशारा है – जहां तकनीक न केवल सपोर्ट सिस्टम है, बल्कि मुख्य भूमिका निभा रही है।
रैप करता पासबुक? पेटीएम का एआई में मजेदार प्रयोग
Vijay Shekhar ने इस मौके पर एक अनोखा एआई फीचर भी लॉन्च किया, जिसे उन्होंने “AI Passbook” नाम दिया है। यह फीचर आपके मासिक खर्चों को रैप गाने में बदल देता है – और वो भी आपके चुने गए म्यूजिक जेनर में। सोचिए, आपके किराने के बिल और ऑनलाइन शॉपिंग की आदतें अब बनेंगी गाने की लाइनें, जिन्हें आप बीट्स पर सुन सकते हैं।
यह फीचर अभी टेस्टिंग फेज में है, लेकिन विजय शेखर शर्मा ने इशारा किया कि इसे जल्द ही यूज़र्स के लिए लाइव कर दिया जाएगा। यह न केवल एक मजेदार तरीका है खर्च समझने का, बल्कि यूज़र्स के साथ जुड़ने की एक क्रिएटिव सोच भी है।
भारत बनेगा एआई उपयोग का ग्लोबल सेंटर
Vijay Shekhar ने मंच से यह भी कहा कि भारत को एआई मॉडल बनाने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि हमारे पास पहले से ही वो स्केल है, वो समस्याएं हैं जिनका हल पूरी दुनिया खोज रही है। उनका मानना है कि भारत “एआई मॉडल बनाने वाला देश” नहीं, बल्कि “एआई उपयोग के उदाहरणों का ग्लोबल सेंटर” बन सकता है।[Related-Posts]
भारत के पास विशाल जनसंख्या, विविध भाषाएं और जटिल समस्याएं हैं – जो एआई को टेस्ट करने और बेहतर बनाने के लिए सबसे अनुकूल माहौल देती हैं। इसीलिए शर्मा का यह दृष्टिकोण न केवल पेटीएम तक सीमित है, बल्कि पूरे भारत के लिए एक दिशा की तरह है।
एआई और भविष्य की दिशा

पेटीएम पहले भी एआई में कई प्रयोग कर चुका है। हाल ही में कंपनी ने एआई स्टार्टअप “परप्लेक्सिटी” के साथ पार्टनरशिप की है, ताकि पेटीएम ऐप में स्मार्ट सर्च और कंवरसेशनल AI इंटरफेस को जोड़ा जा सके। अब यूज़र्स अपने सवाल पूछ सकते हैं और उन्हें तुरंत एआई द्वारा उत्तर मिल सकता है। यह सुविधा जल्द ही अन्य कई रूपों में भी देखने को मिल सकती है।
Vijay Shekharका यह कदम भारत को डिजिटल रूप से और भी सशक्त बना सकता है। एआई को केवल एक तकनीक मानने के बजाय उसे सहयोगी, मार्गदर्शक और रणनीतिक भागीदार के रूप में अपनाने का समय आ गया है। पेटीएम का यह साहसिक प्रयोग ना केवल नई दिशा दिखा रहा है, बल्कि आने वाले समय में भारतीय टेक्नोलॉजी क्षेत्र में क्रांति ला सकता है।
अस्वीकरण: यह लेख उपरोक्त जानकारी के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें दी गई जानकारियों की पुष्टि के लिए संबंधित स्रोतों या पेटीएम की आधिकारिक घोषणाओं की जाँच अवश्य करें। तकनीकी बदलाव समय-समय पर परिवर्तित हो सकते हैं।