Ayushman Yojana: जब कोई इंसान जेल की सलाखों के पीछे होता है, तो वो सिर्फ अपनी आज़ादी से ही नहीं, बल्कि कई मूलभूत अधिकारों से भी वंचित हो जाता है। लेकिन अब एक नई पहल ने जेल में बंद बुजुर्ग कैदियों की ज़िंदगी में उम्मीद की नई किरण जगा दी है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने एक सराहनीय कदम उठाते हुए 70 वर्ष या उससे अधिक उम्र के कैदियों को आयुष्मान भारत योजना का लाभ देने का आदेश दिया है। इसका मतलब है कि ये बुजुर्ग कैदी अब पांच लाख रुपये तक की मुफ्त इलाज सुविधा का लाभ उठा सकेंगे, जो अब तक उनके लिए सपना जैसा था।
अब सलाखों के पीछे भी मिलेगा सम्मान और स्वास्थ्य का हक

इस फैसले के बाद सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के जेल विभागों को आदेश दिया गया है कि वे अपने यहां के योग्य कैदियों को प्रधानमंत्री आयुष्मान वय वंदना योजना के तहत पोर्टल पर रजिस्टर कराएं। इस योजना के जरिए बुजुर्ग कैदियों को भी अन्य वरिष्ठ नागरिकों की तरह 5 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा मिलेगा। जेल अधिकारियों को चार हफ्तों के भीतर यह रिपोर्ट भी देनी है कि उन्होंने कितने कैदियों को योजना से जोड़ा है।
एक शिकायत ने बदली तस्वीर
यह फैसला एक आम नागरिक की शिकायत के बाद आया, जिसने इस बात को उठाया कि बुजुर्ग कैदियों को भी स्वास्थ्य योजनाओं का हक मिलना चाहिए। NHRC ने इस बात को गंभीरता से लेते हुए कहा कि कोई भी व्यक्ति केवल इसलिए योजना से वंचित नहीं रह सकता कि वह जेल में है। अगर वो उम्र की पात्रता पूरी करता है, तो उसे भी उसी तरह स्वास्थ्य सेवाएं मिलनी चाहिए जैसे बाहर रहने वालों को मिलती हैं।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से भी मिली मजबूती
इस ऐतिहासिक निर्णय में सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने फैसले को आधार बनाया गया, जिसमें कहा गया था कि जेल में बंद व्यक्ति भी स्वास्थ्य सेवा का उतना ही अधिकारी है जितना कि एक आम नागरिक। संविधान का अनुच्छेद 21 हर इंसान को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार देता है, और इसमें उचित चिकित्सा सेवा भी शामिल है।
देश में बुजुर्ग कैदियों की स्थिति

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हालांकि अभी तक 70 वर्ष से ऊपर के कैदियों की सटीक संख्या नहीं बताई गई है, लेकिन NCRB की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार 50 साल से ज्यादा उम्र के सजायाफ्ता कैदियों की संख्या 27,690 है और 44,955 अंडर ट्रायल कैदी भी इस उम्र के पार हैं। इससे यह साफ है कि बड़ी संख्या में ऐसे कैदी हैं जो इस योजना से लाभान्वित हो सकते हैं।
यह फैसला न सिर्फ कैदियों के लिए राहत लेकर आया है बल्कि यह भी साबित करता है कि इंसान चाहे कहीं भी हो, उसके बुनियादी अधिकारों की रक्षा जरूरी है। आयुष्मान योजना के जरिए अब बुजुर्ग कैदियों को भी वो सम्मान और सुविधा मिलेगी जिसकी उन्हें वर्षों से जरूरत थी।
अस्वीकरण: यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से तैयार किया गया है। योजना से संबंधित किसी भी लाभ या पात्रता की पुष्टि के लिए आधिकारिक सरकारी वेबसाइट या संबंधित विभाग से संपर्क करें।