Supreme Court: हम सभी जानते हैं कि न्याय व्यवस्था किसी भी लोकतांत्रिक देश की रीढ़ होती है, और भारत में न्यायपालिका को सशक्त बनाना समय की मांग भी है और ज़रूरत भी। ऐसे समय में जब देश की विभिन्न उच्च न्यायालयों में जजों की भारी कमी महसूस की जा रही है, सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए 36 नए नामों को हाई कोर्ट जज बनने के लिए अपनी मंज़ूरी दी है।
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न्यायिक नियुक्तियों में बड़ा कदम

यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम ने 2 और 3 जुलाई को लगातार दो दिनों तक चली मैराथन मीटिंग के बाद लिया। इस दौरान 54 उम्मीदवारों का व्यक्तिगत इंटरव्यू लिया गया, जिनमें से 36 को उच्च न्यायालयों में जज बनाने के लिए चुना गया। यह प्रक्रिया इस बार काफी व्यापक और गंभीर रही जिसमें उम्मीदवारों की संवैधानिक समझ, न्यायिक क्षमता और व्यक्तिगत गुणों को ध्यान में रखा गया।
किन हाई कोर्ट्स के लिए हुई है नियुक्तियाँ
इस निर्णय के तहत पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट तथा मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के लिए 10-10 नामों को मंजूरी दी गई है। इसके अलावा तेलंगाना और गुवाहाटी हाई कोर्ट के लिए 4-4, दिल्ली हाई कोर्ट के लिए 3, राजस्थान और पटना हाई कोर्ट के लिए 2-2, और आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के लिए 1 नाम को चुना गया है। यह नियुक्तियाँ देश के अलग-अलग हिस्सों में न्याय प्रक्रिया को गति देने में मदद करेंगी।
कोलेजियम में कौन-कौन शामिल था
इस ऐतिहासिक फैसले को लेने वाले कोलेजियम में भारत के मुख्य न्यायाधीश श्री भूषण आर. गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ शामिल थे। इन वरिष्ठ न्यायाधीशों ने पारदर्शी प्रक्रिया अपनाते हुए न्यायपालिका में युवा और योग्य प्रतिभाओं को शामिल करने का रास्ता साफ किया है।
देश की अदालतों में कितनी खाली जगह
1 जुलाई 2025 तक देश के 25 उच्च न्यायालयों में कुल 1122 स्वीकृत पदों के मुकाबले 371 पद खाली थे। ऐसे में ये नियुक्तियाँ अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं क्योंकि इनसे न्याय प्रक्रिया को तेज़ करने में सहायता मिलेगी और लंबित मामलों के बोझ को कम करने में राहत मिलेगी।
बार और बेंच से संतुलित चयन
इस बार कोलेजियम ने न्यायिक अधिकारियों के साथ-साथ वकालत कर रहे योग्य अधिवक्ताओं को भी न्यायिक पदों के लिए चुना है। यह संतुलन यह दर्शाता है कि सुप्रीम कोर्ट का उद्देश्य केवल अनुभव नहीं, बल्कि विविध दृष्टिकोण और न्याय के प्रति प्रतिबद्धता को भी महत्व देना है।[Related-Posts]
क्यों है यह निर्णय खास

यह निर्णय सिर्फ नियुक्तियों की संख्या को लेकर ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह प्रक्रिया में आई पारदर्शिता और गुणवत्ता की प्रतिबद्धता को भी दिखाता है। देश की न्यायिक व्यवस्था को मज़बूत करने के लिए ज़रूरी है कि योग्य, संवेदनशील और निष्पक्ष लोगों को न्यायिक पदों पर नियुक्त किया जाए। कोलेजियम के इस कदम से आम नागरिकों में भी न्याय व्यवस्था पर विश्वास और बढ़ेगा।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सूचना और शिक्षा के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी आधिकारिक स्रोतों और मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। किसी भी प्रकार की कानूनी राय या सलाह के लिए किसी विधि विशेषज्ञ से संपर्क अवश्य करें।